Friday, 9 May 2014

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श्रद्धा हमारी भाषा, निष्ठा हमारा नारा ।
गुरुदेव की शरण से, भव का मिले किनारा ।।
हम गुरु के शिष्य ऐसे, जैसे दिये में बाती ।
जलते रहेंगे हरदम, चाहे हो तूफाँ पानी ।।
गुरु हैं हमारे ऐसे, जैसे श्री वीर भगवन् ।
श्री कुंद-कुंद स्वामी, जैसा पवित्र जीवन ।।
चरणों का स्पर्श पाकर, हो जाती माटी चंदन ।
पारस हैं आप गुरुवर, हमको बना दो कुंदन ।।
दुखियों के दुःख हरने, हरदम खड़े रहेंगे ।
हर आंच में जलेंगे, कर्मो से हम लड़ेंगे ।।
शुद्धोपयोगी गुरुवर, बस एक भावना है ।
बन जायें आप जैसे, कुछ और चाह ना है ।।


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